प्रधानमंत्री मोदी को अलोकतांत्रिक कहने वाले सोरोस के NGO पर ED की बड़ी कार्रवाई: FEMA उल्लंघन में ED ने मारी रेड, सोरोस और एमनेस्टी जांच के घेरे में

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारत में अवैध विदेशी फंडिंग और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े NGO ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (OSF) और एमनेस्टी इंटरनेशनल के दफ्तरों पर छापेमारी की है। बेंगलुरु स्थित इन संगठनों के कार्यालयों के अलावा, ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के घरों की भी तलाशी ली गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन को लेकर की गई है। बता दें, 8 दिसंबर को भाजपा ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ‘फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसिफिक (FDL-AP)’ की सह-अध्यक्ष हैं, जिसे जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन से फंडिंग मिलती है। भाजपा ने दावा किया कि यह संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करता है।

प्रधानमंत्री मोदी को अलोकतांत्रिक कहने वाले सोरोस के NGO पर शिकंजा

जॉर्ज सोरोस, जो कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक रहे हैं, लंबे समय से विवादों में रहे हैं। उन्होंने कई बार भारत सरकार की नीतियों पर तीखी टिप्पणी की, जिसमें CAA (नागरिकता संशोधन कानून) और अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध भी शामिल है। अगस्त 2023 में, म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में अपने बयान में उन्होंने कहा था कि “भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं।”

बता दें, 92 वर्षीय जॉर्ज सोरोस हंगरी में जन्मे एक यहूदी बिजनेसमैन और निवेशक हैं, जिन्हें दुनिया भर में राजनीति और सामाजिक आंदोलनों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 16 सितंबर 1992 को ब्रिटिश पाउंड में भारी गिरावट लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे उन्हें “ब्रिटिश पाउंड को तोड़ने वाला आदमी” कहा जाता है।

भारत में, उनकी संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में प्रवेश किया और 2014 से विभिन्न सामाजिक संगठनों को फंडिंग देना शुरू किया। हालांकि, 2016 में भारत सरकार ने उनकी फंडिंग पर रोक लगा दी और विदेशी फंडिंग पर सख्त नियम लागू किए। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जॉर्ज सोरोस समेत 18 लोगों को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ प्रदान किया। हालांकि, इस पर भी विवाद छिड़ गया, जब टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने इस फैसले को ‘हास्यास्पद’ करार दिया

वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल, जिसे भारत में विदेशी फंडिंग के नियमों के उल्लंघन के आरोप में पहले भी कार्रवाई झेलनी पड़ी थी, दिसंबर 2020 में भारत में अपनी सभी गतिविधियां बंद कर चुकी है। इसके बैंक खातों को अवैध फंडिंग के चलते फ्रीज कर दिया गया था। आरोप है कि यह संगठन जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंडिंग प्राप्त कर रहा था, जिसे लेकर CBI पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। अब ED इस मामले में जांच कर रहा है।

ED की कार्रवाई का बढ़ता दायरा

जॉर्ज सोरोस और उनके संगठनों की गतिविधियों को लेकर भारत में पहले भी जांच होती रही है, लेकिन ED की यह ताजा कार्रवाई संकेत देती है कि सरकार अवैध विदेशी फंडिंग पर सख्त रुख अपनाने के मूड में है। इससे भारत में NGO सेक्टर में पारदर्शिता को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। क्या यह कार्रवाई विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के लिए उठाया गया कदम है या सरकार के आलोचकों के खिलाफ कार्रवाई? यह सवाल अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। 

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