अमेरिका की धमकी भी नहीं रोक सकी एपल को, भारत में ही बनेगा iPhone; ट्रम्प की चेतावनी के बाद भी कंपनी ने मुनाफे को चुना!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कड़ी चेतावनियों और टैरिफ लगाने की धमकी के बावजूद एपल ने भारत में iPhone निर्माण जारी रखने का निर्णय लिया है। CNN की रिपोर्ट्स के मुताबिक, एपल भारत में मैन्युफैक्चरिंग से मिलने वाले फायदों को देखते हुए किसी भी राजनीतिक दबाव में झुकने को तैयार नहीं है। कंपनी की रणनीति साफ है – जहां फायदा होगा, वहीं उत्पादन होगा। मामले से जुड़े एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने भी पुष्टि की है कि एपल अपने मुनाफे को प्राथमिकता देगी और ट्रम्प प्रशासन के दबाव में नहीं आएगी।

दरअसल, ट्रम्प ने स्पष्ट शब्दों में एपल के CEO टिम कुक से कहा था कि अगर iPhone की मैन्युफैक्चरिंग भारत या अन्य देशों में जारी रही तो कंपनी पर कम से कम 25% टैरिफ लगाया जाएगा। 15 मई को दोहा में एक बिजनेस इवेंट के दौरान ट्रम्प ने बताया कि उन्होंने टिम कुक से साफ कह दिया – “मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है। अगर तुम अमेरिका में iPhone नहीं बनाओगे तो हमें तुम्हारे प्रोडक्ट्स पर भारी टैक्स लगाना पड़ेगा।” हालांकि ट्रम्प की इन धमकियों का असर कंपनी की नीति पर नहीं पड़ा। फिलहाल एपल के कुल iPhone प्रोडक्शन का 15% हिस्सा भारत में बनता है – करीब 40 मिलियन यूनिट हर साल। खुद एपल के CEO टिम कुक ने बताया कि अमेरिका में बिकने वाले 50% iPhone अब भारत में बन रहे हैं। अप्रैल-जून तिमाही में भारत “कंट्री ऑफ ओरिजिन” बन जाएगा – यानी अमेरिका में बिकने वाले हर दूसरे iPhone के पीछे ‘Made in India’ की मुहर होगी।

फॉक्सकॉन का भारत में 12,700 करोड़ का नया निवेश

ट्रम्प के दबाव के बीच एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत पर और बड़ा दांव लगाया है। हाल ही में कंपनी ने तमिलनाडु स्थित युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। यह निवेश फॉक्सकॉन की सिंगापुर यूनिट के जरिए किया गया है और यह दिखाता है कि कंपनी भारत को एक लॉन्ग टर्म मैन्युफैक्चरिंग बेस के रूप में देख रही है।

भारत को क्यों बना रहा एपल अपना मैन्युफैक्चरिंग हब – जानिए 5 अहम कारण

  1. सप्लाई चेन का डायवर्सिफिकेशन – एपल चीन पर अपनी निर्भरता घटाना चाहता है। ट्रेड वॉर, कोविड लॉकडाउन और जियोपॉलिटिकल रिस्क ने सिखा दिया है कि एक ही देश पर निर्भरता भारी पड़ सकती है।

  2. सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं – भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम से एपल के पार्टनर्स जैसे फॉक्सकॉन और टाटा को भारी निवेश के लिए बढ़ावा मिला है।

  3. बढ़ता भारतीय बाजार – भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है। यहां की युवा जनसंख्या और डिजिटलाइजेशन की रफ्तार को देखते हुए, लोकल प्रोडक्शन से एपल को सीधे ग्राहक तक पहुंचने का फायदा मिल रहा है।

  4. एक्सपोर्ट हब बनने की क्षमता – एपल भारत में बने iPhone का लगभग 70% एक्सपोर्ट करता है। 2024 में भारत से iPhone एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (₹1.09 लाख करोड़) के पार पहुंच गया।

  5. स्किल्ड वर्कफोर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार – भारत में वर्कफोर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है, नई यूनिट्स और टेक्नोलॉजी पार्क्स खोले जा रहे हैं। कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,000 करोड़) की लागत से नया प्लांट स्थापित किया जा रहा है।

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