अब हर सड़क नहीं बनेगी NH: केंद्र सरकार बदलेगी नीति, राज्यों को मिलेगा सीधा फंड!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

केंद्र सरकार अब स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे (NH) में बदलने की प्रक्रिया पर ब्रेक लगाने की तैयारी में है। अब हर अहम सड़क को NH का दर्जा नहीं दिया जाएगा। इसकी जगह, राज्य सरकारों को अपने हाईवे खुद ही सुधारने के लिए केंद्र से एकमुश्त फंड दिया जाएगा। ये बदलाव केंद्र की नई रणनीति का हिस्सा है, जिसमें ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण पर ज्यादा फोकस रहेगा।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि वह जुलाई 2025 तक ऐसा मॉडल तैयार करे जिससे राज्यों को खुद अपने हाईवे के उन्नयन के लिए सक्षम बनाया जा सके। इसके तहत राज्यों को विशेष रूप से अपने हाईवे को छोटे बंदरगाहों (पोर्ट्स) से जोड़ने के लिए कहा गया है। साथ ही केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया है कि मौजूदा सड़कों की गुणवत्ता और चौड़ाई बढ़ाना नए हाईवे घोषित करने से कहीं ज्यादा प्राथमिकता का विषय है।

बीते 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने करीब 55,000 किलोमीटर राज्य हाईवे को नेशनल हाईवे में तब्दील किया है, जिससे भारत में नेशनल हाईवे नेटवर्क की कुल लंबाई अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है। लेकिन अब सरकार की सोच बदल रही है। उसका मानना है कि नए रूट जोड़ने की बजाय मौजूदा नेटवर्क को बेहतर और टिकाऊ बनाना ज्यादा जरूरी है, जिससे लॉन्ग डिस्टेंस ट्रैवल और लॉजिस्टिक्स को मजबूती मिल सके।

राज्यों को मिल सकता है अधिक वित्तीय सहयोग
नई नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार राज्य सरकारों को हाईवे सुधारने के लिए सीधे तौर पर वित्तीय सहायता दे सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि राज्य अपनी जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर अपने हाईवे का उन्नयन कर सकेंगे। इसके साथ ही, इन सड़कों का रखरखाव और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी पूरी तरह राज्य सरकारों के अधीन होगी। इससे केंद्र सरकार को अपने संसाधनों का उपयोग बड़े पैमाने की सड़क परियोजनाओं जैसे कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और लॉन्ग डिस्टेंस फ्रीवे के निर्माण में करने का मौका मिलेगा।

पहले क्या होता था?
अब तक की नीति के अनुसार, राज्य सरकारें अपनी प्रमुख सड़कों को NH में तब्दील करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजती थीं। इसके बाद केंद्र इन सड़कों के राष्ट्रीय महत्व, ट्रैफिक भार और कनेक्टिविटी को देखते हुए उन्हें नेशनल हाईवे घोषित करता था। ऐसा होते ही सड़क की देखरेख, मेंटेनेंस और फंडिंग की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर आ जाती थी।

भारत का सड़क नेटवर्क – एक नजर
भारत में सड़क नेटवर्क लगातार विस्तृत हो रहा है। मार्च 2025 तक कुल सड़क नेटवर्क 63 लाख किलोमीटर से अधिक हो चुका है। इसमें नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, ग्रामीण सड़कें और शहरी मार्ग शामिल हैं। लेकिन अब सरकार का जोर नए निर्माण से हटकर ‘स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर’ और टिकाऊ विकास पर है।

इस कदम को देश के बुनियादी ढांचे को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राज्यों की जिम्मेदारी बढ़ेगी, लेकिन उनके पास अधिक स्वतंत्रता और वित्तीय सहयोग होगा, जिससे वे अपने हिसाब से अपनी सड़क योजना तैयार कर सकेंगे।

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