जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
होली – रंगों, उमंग और उत्साह का त्योहार! यह पर्व सिर्फ रंगों से खेलने का ही नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। भक्त प्रह्लाद की अटूट श्रद्धा और विश्वास ने अहंकारी होलिका के अंत की कहानी लिखी, और तब से हर साल यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।
गुलाल से सजे चेहरे, ढोल-नगाड़ों की धुन, पकवानों की मिठास और भाईचारे का संदेश—होली हर दिल को करीब लाती है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और प्रेम का इजहार करते हैं।
इसी कड़ी में आपको बता दें, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने होली पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई और मंगलकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर उन्होंने गुरुवार की रात्रि मुख्यमंत्री निवास में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर होलिका दहन किया साथ ही मुख्यमंत्री निवास कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को होली की बधाई दी।
इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि होली का उत्सव होलिका दहन की कथा का स्मरण करवाता है। भक्त प्रहलाद का नारायण प्रेम इसमें स्पष्ट झलकता है। होलिका दहन में भक्त प्रहलाद को स्वयं नारायण ने जीवनदान दिया। मध्यप्रदेश में होली से रंगपंचमी तक अलग-अलग अंचल में उत्सव के अनेक स्वरूप दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे राष्ट्र में विरासत से विकास के ध्येय को ध्यान में रखकर स्वर्णिम काल चल रहा है। हमारी सनातन संस्कृति के एक-एक त्यौहार को सभी आनंदित होकर मना रहे है।
गौरतलब है कि महाकाल की नगरी उज्जैन में होली का एक अलग ही रंग देखने को मिलता है। पूरे देश में सबसे पहले भगवान महाकाल के आँगन में होलिका दहन कर भगवान को हर्बल गुलाल अर्पित किया जाता है और “हर-हर महादेव” के जयघोष के साथ रंगों के इस पावन उत्सव की शुरुआत करते हैं। चाहे ब्रज की लट्ठमार होली हो, काशी की गंगा किनारे गुलाल से सजी होली हो, या फिर बुंदेलखंड की शाही होली—हर जगह रंगों का ये पर्व अपनी छटा बिखेरता है।