MP पुलिस पर लगातार हमले! SI अवधेश दुबे का दर्द छलका, 21 मिनट का लाइव वीडियो हुआ वायरल; मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से की दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश में कानून के रक्षक ही जब असुरक्षित महसूस करें, तो आम जनता का क्या होगा? हाल के दिनों में पुलिसकर्मियों पर लगातार हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। मऊगंज में एएसआई रामचरण गौतम की हत्या, इंदौर में वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता, और ग्वालियर में तहसीलदार-थाना प्रभारी पर हमला—ये घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली और उनकी सुरक्षा पर गहरी चोट कर रही हैं।

इन्हीं घटनाओं के बीच छतरपुर जिले के सिविल लाइन थाने में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर अवधेश दुबे का दर्द सोशल मीडिया पर छलक पड़ा। सेना से रिटायर होने के बाद पुलिस सेवा में आए एसआई दुबे ने फेसबुक लाइव के जरिए पुलिस बल की पीड़ा को उजागर किया। उन्होंने सीधे सवाल दागा—”मध्य प्रदेश की पुलिस आखिर कब तक भीड़तंत्र का शिकार होती रहेगी?” बता दें, (SI) अवधेश कुमार दुबे का 21 मिनट का फेसबुक लाइव वीडियो वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने भावुक होकर सरकार और पुलिस प्रशासन से सवाल किया—
“हमारी भी सुनिए, हमें ज़िंदा रहने दीजिए!”

“अगर पुलिस ही सुरक्षित नहीं, तो जनता का क्या?”

एसआई दुबे ने मऊगंज की घटना पर रोष व्यक्त करते हुए कहा, “एक एएसआई को बीच सड़क पर पीट-पीटकर मार दिया जाता है और कानून तोड़ने वाले बेखौफ घूमते हैं।” उन्होंने इंदौर में वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और ग्वालियर में तहसीलदार-थाना प्रभारी पर हमले को सामाजिक अराजकता का उदाहरण बताया।

SI अवधेश दुबे ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस लगातार निशाने पर है, लेकिन कोई हमारी आवाज़ नहीं सुन रहा। 18 साल भारतीय सेना में सेवा देने के बाद पुलिस में आए दुबे ने कहा, “हम पुलिस वाले भीड़ नहीं बना सकते, धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते, लेकिन हम लगातार शिकार हो रहे हैं।” उन्होंने पुलिस की मौन बेबसी को उजागर करते हुए कहा, “हम पर हमले होते हैं, हमारे साथ बदसलूकी होती है, लेकिन हमें ही निलंबित कर दिया जाता है। क्या पुलिस का सम्मान अब निलंबन में तब्दील हो गया है?”

“तीर भी चलाना है और परिंदा भी न मरे—ऐसा कैसे हो सकता है?”

उन्होंने सरकार और उच्च अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों को ऐसे माहौल में काम करने को मजबूर किया जा रहा है, जहां अपराधियों के खिलाफ एक्शन भी लेना है, लेकिन ज्यादा सख्ती की तो खुद पर ही गाज गिरने का डर बना रहता है।

उन्होंने कहा, “हम बिना छुट्टी के, बिना किसी व्यक्तिगत जीवन के, त्योहारों पर भी अपनी ड्यूटी निभाते हैं। लेकिन आज जनता ही हम पर हमले कर रही है। क्या यह सही है?” SI दुबे ने अपने पुलिस साथियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, “अगर मेरे साथ भी ऐसा हुआ होता, तो मैं भी वही करता। मुझे निलंबित होना मंज़ूर है, लेकिन ज़मीर जिंदा रहना चाहिए!”

उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना से मांग की कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। अब सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना इस गंभीर संकट पर कोई ठोस कदम उठाएंगे, या फिर यह आवाज भी सोशल मीडिया पर गूंजकर रह जाएगी?

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