जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
उज्जैन जिले के तराना क्षेत्र में 20 मार्च का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ₹2,489.65 करोड़ लागत की नर्मदा-क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना और अन्य विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। बता दें, सीएम तराना में श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर के नए महंत के चादर विधि कार्यक्रम और महारुद्र यज्ञ में भी शामिल हुए। इस अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, सांसद बाल योगी उमेश नाथ महाराज, मंत्री गौतम टेटवाल और अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे। नर्मदा-क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना के माध्यम से नर्मदा जी की पावन धारा पहली बार तराना की धरती तक पहुंचेगी, जिससे क्षेत्र के हजारों किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि इस परियोजना से उज्जैन जिले की तराना और घट्टिया तहसीलों के 83 ग्रामों की 27,490 हेक्टेयर भूमि और शाजापुर जिले की शाजापुर तहसील के 17 ग्रामों की 2,728 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इससे किसानों को सालभर भरपूर पानी मिलेगा, जिससे वे अधिक उपज ले सकेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश को मिली पार्वती-कालीसिंध-चंबल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार हर खेत तक सिंचाई का पानी और हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के संकल्प को पूरा कर रही है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्रवासियों को कई और महत्वपूर्ण विकास कार्यों की सौगात दी:
- ₹9.64 करोड़ की लागत से बने इंदौख हाईलेवल ब्रिज का लोकार्पण
- ₹7.15 करोड़ की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र भवन का भूमिपूजन,
- ₹5.73 करोड़ की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का लोकार्पण,
- ₹5.21 करोड़ की लागत से बनी 11 नल-जल परियोजनाओं का लोकार्पण किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अब क्षिप्रा नदी में वर्षा जल का प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे उज्जैन में आने वाले श्रद्धालुओं को हर घाट पर क्षिप्रा जल में स्नान करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठा रही है, जिससे उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उनकी सरकार किसानों की बेहतरी के लिए निरंतर कार्य कर रही है। किसान सम्मान निधि के अतिरिक्त राज्य सरकार भी किसानों को आर्थिक सहायता दे रही है, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके। गेहूं खरीद के लिए किसानों को ₹2600 प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिले। साथ ही, दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ₹5 प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि भी देगी।
डॉ. मोहन यादव ने यह भी कहा कि सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना लागू कर रही है। जो व्यक्ति 10 या उससे अधिक गायों का पालन करेगा, उसे अनुदान प्रदान किया जाएगा। इससे किसानों और पशुपालकों की आमदनी में वृद्धि होगी और प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, साल 2017 में प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त करने वाली इस परियोजना को पुनरीक्षित लागत ₹2489.65 करोड़ में मंजूरी मिली थी। इसके बाद ₹1856.70 करोड़ की लागत से एल एंड टी कंस्ट्रक्शन, चेन्नई को इसका अनुबंध सौंपा गया था। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत नर्मदा जल को भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से 100 गांवों के 30,218 हेक्टेयर भूमि तक पहुंचाया जाएगा।
इससे उज्जैन जिले के तराना और घट्टिया तहसील के 83 गांवों की 27,490 हेक्टेयर भूमि और शाजापुर जिले की शाजापुर तहसील के 17 गांवों की 2,728 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं, उद्योगों और घरों में जल आपूर्ति के लिए भी यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।
जल आपूर्ति के प्रभावशाली आंकड़े
परियोजना के तहत –
✅ उज्जैन जिले के उद्योगों और पेयजल आपूर्ति के लिए 129.60 एमएलडी जल
✅ नागदा नगर के लिए 129.60 एमएलडी जल
✅ तराना, घट्टिया व गुराड़िया गुर्जर में प्रत्येक के लिए 21.60 एमएलडी पेयजल
✅ शाजापुर जिले के गांव समूह व शाजापुर नगर के लिए 43.20 एमएलडी पेयजल
✅ मक्सी में पेयजल व उद्योगों के लिए 43.20 एमएलडी जल उपलब्ध होगा।
वहीं, ओंकारेश्वर जलाशय (ग्राम बड़ेल, जिला खंडवा) से इस परियोजना के लिए पानी भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से 435 मीटर ऊंचाई तक उद्वहित किया जाएगा। इसके लिए 6 पंपिंग स्टेशन और 50 पंप मोटर लगाए गए हैं, जिनके संचालन के लिए 89 मेगावाट विद्युत की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, मुख्य पाइपलाइन और वितरण प्रणाली के लिए 2254 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है, जिससे 2.5 हेक्टेयर के प्रत्येक चक तक जल पहुंच सकेगा।