मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान: मध्यप्रदेश में होगा युवाओं का ‘ज्ञान महाकुंभ’, खुलेंगे 100 नए रिसर्च सेंटर; बीएससी एग्रीकल्चर को भी मिलेगा बढ़ावा!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में युवाओं को दिशा देने और उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई अहम घोषणाएं की हैं। मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने युवाओं के लिए “ज्ञान महाकुंभ” जैसे नवाचार की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए एक भव्य ज्ञान महाकुंभ का आयोजन किया जाना चाहिए, जिसमें देश के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विशेषज्ञ विद्यार्थियों से संवाद करें। साथ ही, प्रत्येक वर्ष प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ समूह चर्चा और संवाद सत्र भी आयोजित हों, जिससे छात्र विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अपडेट रहें।

मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा को रोजगार से जोड़ने के लिए कई बड़े निर्णय भी लिए। उन्होंने निर्देश दिए कि महाविद्यालयों में शोध केंद्रों की स्थापना बढ़ाई जाए और भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित रोजगारपरक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए। जनजातीय क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा कॉलेज खोले जाएं ताकि आदिवासी छात्र भी उच्च शिक्षा से वंचित न रहें। उन्होंने यह भी बताया कि 2021-22 के अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश का सकल नामांकन अनुपात (GER) 28.9 प्रतिशत रहा है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है — यह राज्य के लिए गर्व की बात है।

राज्य सरकार अब कॉलेजों की स्टेट लेवल ग्रेडिंग भी कराएगी और हर साल सर्वश्रेष्ठ महाविद्यालय, सर्वश्रेष्ठ प्राचार्य और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक को पुरस्कार देने की नई परंपरा शुरू की जाएगी। युवाओं के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने के लिए संभाग स्तर पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खासतौर पर बीएससी एग्रीकल्चर पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक कॉलेजों में कृषि आधारित पाठ्यक्रम संचालित किए जाएं ताकि छात्र कृषि और इससे जुड़े उद्योगों में भविष्य बना सकें। प्रदेश के 55 जिलों में संचालित प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में अब रोजगार आधारित डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेस की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में इन पाठ्यक्रमों में करीब 1200 विद्यार्थी नामांकित हैं।

मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने के लिए कॉलेजों में दो शिफ्ट में पढ़ाई का सुझाव भी दिया। साथ ही, सेमेस्टर सिस्टम को भी यथावत रखने के निर्देश दिए। विद्यार्थियों की उपस्थिति को उनके क्रेडिट स्कोर से जोड़ने की योजना भी लागू की जा रही है, जिससे विद्यार्थियों की नियमितता में सुधार आ रहा है।

भविष्य को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विश्व बैंक प्रोजेक्ट के अंतर्गत महाविद्यालयों में कंप्यूटर लैब और जरूरी संसाधनों के विकास की बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि शासकीय विश्वविद्यालयों में प्राध्यापक भर्ती अब मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के माध्यम से ही की जाएगी।

बैठक में मौजूद उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि “विकसित मध्यप्रदेश @2047” के अंतर्गत राज्य सरकार विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय शिक्षा देने के लिए कृतसंकल्पित है। नई शिक्षा नीति को लागू करते हुए शोध, नवाचार और तकनीकी उन्नयन पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

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