मध्यप्रदेश में गर्मी नहीं, बारिश ने मचाया कहर: 139 साल का रिकॉर्ड टूटा, 27 से ज्यादा जिलों में अलर्ट जारी!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में इस बार मौसम पूरी तरह पलट गया है। मई और जून की भीषण गर्मी की जगह, अब बेमौसम बारिश और तेज आंधी ने लोगों को हैरान कर दिया है। बीते 24 घंटे में प्रदेश के 27 से अधिक जिलों में जोरदार बारिश और तेज हवाएं चलीं। सबसे अधिक बारिश नर्मदापुरम और मंडला में दर्ज की गई, जहां 2 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। वहीं, आने वाले कुछ घंटों में गुना, शिवपुरी, श्योपुर, रायसेन, विदिशा और नरसिंहपुर में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है।

राजधानी भोपाल समेत इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, जबलपुर, सागर, रीवा, सतना, कटनी, सीहोर जैसे शहरों में भी आंधी-बारिश की चेतावनी है। कहीं हल्की बूँदाबाँदी हो रही है तो कहीं झमाझम बारिश ने पूरे शहर को तरबतर कर दिया है। छिंदवाड़ा में लगातार 4 घंटे बारिश होने से ठंडक बढ़ गई है, जबकि ग्वालियर के हजीरा इलाके में बारिश के कारण एक तलघर ढह गया, जिससे दहशत फैल गई।

मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, फिलहाल प्रदेश के ऊपर एक ट्रफ लाइन, तीन साइक्लोनिक सर्कुलेशन और दो लो प्रेशर सिस्टम सक्रिय हैं। इन सभी के प्रभाव से मध्यप्रदेश के कई जिलों में अगले 48 घंटे तक भारी बारिश हो सकती है। कहीं 2 इंच, तो कहीं 8 इंच तक बारिश का अनुमान है।

सबसे हैरानी की बात यह है कि इस साल मई में प्रदेश के 53 जिलों में बारिश दर्ज की गई, जो इतिहास में पहली बार हुआ है। इंदौर में 139 साल का रिकॉर्ड टूट गया है – मई में 4.6 इंच बारिश दर्ज की गई, जो कि अब तक की सबसे ज्यादा है। इससे पहले 1886 में मई में 4.2 इंच पानी गिरा था। वहीं उज्जैन में भी मई का ओवरऑल बारिश रिकॉर्ड बन गया है – इस बार 4.3 इंच बारिश दर्ज की गई, जबकि 2021 में यह आंकड़ा महज 2.5 इंच था।

जहाँ मई में आमतौर पर तापमान 45 डिग्री तक पहुंचता था, इस बार प्रदेश का कोई भी शहर 43 डिग्री तक भी नहीं पहुंचा। गर्मी का प्रतीक माने जाने वाला नौतपा भी इस बार ठंडा ही निकला। ग्वालियर, खजुराहो, नौगांव, टीकमगढ़ जैसे कुछ गिने-चुने जिलों में ही तापमान 40 डिग्री के पार गया, बाकी जगहों पर तो तापमान इससे भी नीचे रहा। वहीं, इस बार मई के पूरे महीने में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ), ट्रफ और साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम सक्रिय रहे। एक के बाद एक मौसमी सिस्टम बनते गए, जिससे मानसून पूर्व बारिश का दौर बना रहा। मई की हर तारीख में किसी न किसी जिले में बारिश जरूर हुई – ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा गया।

 

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