उमरिया में महिला के खिलाफ जिला बदर आदेश रद्द: हाईकोर्ट ने कलेक्टर पर ठोका 25 हजार का जुर्माना, कमिश्नर पर भी कड़ी टिप्पणी

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले फैसले में उमरिया की रहने वाली माधुरी तिवारी के खिलाफ की गई जिला बदर की कार्रवाई को न केवल रद्द कर दिया, बल्कि उमरिया कलेक्टर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा, “संभागायुक्त (कमिश्नर) अपने विवेक से काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि किसी डाकघर की तरह सिर्फ मुहर लगाने का काम कर रहे हैं!”

महिला को बिना ठोस आधार बना दिया अपराधी, कोर्ट ने जताई नाराजगी

माधुरी तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके खिलाफ महज 6 मामूली मामले दर्ज थे, फिर भी उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने अक्टूबर 2024 में उन्हें जिला बदर करने का फरमान सुना दिया।

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि ये कार्रवाई किसी पुख्ता सबूत पर नहीं, बल्कि महज पुलिस के बयान पर की गई थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल की अदालत ने पाया कि कलेक्टर ने एसएसओ (स्टेशन सब-ऑर्डिनेट) मदन लाल मरावी के बयान को आधार बनाकर महिला के खिलाफ इतना कठोर आदेश पारित कर दिया।

सुनवाई के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई। महिला के पास कोई प्रतिबंधित पदार्थ नहीं मिला था, फिर भी उनके खिलाफ NDPS एक्ट (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर दिया गया था।

एसएसओ ने खुद स्वीकार किया कि महिला का नाम सिर्फ एक अन्य आरोपी रमेश सिंह सेंगर के बयान के आधार पर जोड़ा गया था। हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि जब महिला के खिलाफ कोई ठोस सबूत ही नहीं था, तो कलेक्टर ने इतनी गंभीर कार्रवाई क्यों की?

कमिश्नर की भूमिका पर भी कोर्ट का हमला – “यह अंग्रेजों का शासन नहीं है!”

हाईकोर्ट ने सिर्फ कलेक्टर ही नहीं, बल्कि संभागायुक्त (कमिश्नर) को भी लताड़ लगाई। जब महिला ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, तो कमिश्नर ने बिना जांच किए ही कलेक्टर के आदेश पर मोहर लगा दी। इस पर अदालत ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा –

“आज अंग्रेजों का शासन नहीं है कि बिना जांच के किसी को भी जिले से निकाल दिया जाए। कानून का पालन होना चाहिए, न कि अधिकारियों की मनमानी!” हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला के खिलाफ जिला बदर का आदेश रद्द कर दिया और कलेक्टर को 25 हजार रुपए जुर्माने के तौर पर भरने का निर्देश दिया। साथ ही कमिश्नर को भी आदेश दिया कि वह विवेक से निर्णय लें, सिर्फ आदेशों पर मुहर लगाने का काम न करें।

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