जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बेंगलुरु में शुक्रवार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का भव्य आयोजन शुरू हुआ। इस ऐतिहासिक बैठक की शुरुआत भारत माता की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने की। इस सभा में संघ के 1450 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जहां संघ के कार्य विस्तार, सामाजिक समरसता, मातृभाषा के महत्व, मणिपुर संकट और बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न जैसे ज्वलंत विषयों पर मंथन किया गया। बैठक के पहले दिन संघ ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन, लेखक प्रीतीश नंदी और अन्य दिवंगत कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने बैठक की शुरुआत में मणिपुर के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य पिछले 20 महीनों से हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा कुछ प्रशासनिक और राजनीतिक फैसले लिए जाने के बाद हालात में सुधार की उम्मीद जगी है।
➡ मगर स्थिति को पूरी तरह सामान्य होने में अभी लंबा समय लगेगा।
➡ संघ के कार्यकर्ता वहां समाज में शांति और भाईचारे को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।
संघ के शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि कुछ ताकतें देश की एकता को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। वे उत्तर और दक्षिण भारत के बीच बहस को बढ़ावा दे रही हैं।
✔ भाषा का मुद्दा हो या परिसीमन की बहस, इसे राजनीतिक स्वार्थ के लिए उछाला जा रहा है।
✔ सभी सामाजिक समूहों को मिलकर इन समस्याओं को सद्भावना के साथ हल करना चाहिए।
वहीं, मुकुंद सीआर ने स्पष्ट किया कि—
➡ संघ का हमेशा से यही मत रहा है कि शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए।
➡ जहां भी संभव हो, लोगों को मातृभाषा का ही उपयोग करना चाहिए।
➡ दो-भाषा या तीन-भाषा फॉर्मूला पर संघ का कोई स्पष्ट प्रस्ताव नहीं है, लेकिन मातृभाषा को प्राथमिकता देने का समर्थन है।
➡ उन्होंने कहा कि व्यावसायिक और करियर के लिहाज से इंग्लिश या अन्य भाषाओं को सीखना जरूरी है।
बांग्लादेश में हिंदू उत्पीड़न पर प्रस्ताव
RSS की इस अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया जाएगा।
➡ संघ जल्द ही इस पर एक प्रस्ताव पारित कर सकता है।
➡ यह प्रस्ताव भारत सरकार को भेजकर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कड़ा संदेश देने की मांग करेगा।
जानकारी के लिए बता दें, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। संघ अपनी 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर न केवल अपने संगठनात्मक विस्तार को देख रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि इसका प्रभाव समाज में गहराई तक पहुंचे। इस मंथन में यह देखा जा रहा है कि संघ किन क्षेत्रों में समाज को और अधिक लाभ पहुंचा सकता है। इसी के चलते इस ऐतिहासिक अवसर को ध्यान में रखते हुए, इस प्रतिनिधि सभा में संघ के सामाजिक प्रभाव, विस्तार योजनाओं और भविष्य की रणनीतियों पर गहन चर्चा की जा रही है। बैठक में यह भी मूल्यांकन किया जा रहा है कि संघ अब तक समाज में कितना सकारात्मक परिवर्तन ला सका है और किन क्षेत्रों में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
संघ की शाखाओं में ऐतिहासिक वृद्धि, एक साल में 10 हजार नई शाखाएं
बता दें, संघ की बढ़ती लोकप्रियता और सामाजिक प्रभाव का प्रमाण इसकी शाखाओं की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि है। वर्तमान में संघ की गतिविधियां 73,646 स्थानों पर संचालित हो रही हैं, जिनमें से 51,710 स्थानों पर प्रतिदिन शाखाएं लगती हैं। पिछले एक वर्ष में संघ की शाखाओं में 10,000 की वृद्धि हुई, जिससे इनकी कुल संख्या 83,129 हो गई है। इसके अलावा, साप्ताहिक गतिविधियां भी 4,430 बढ़ी हैं।