जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को भयानक अफरा-तफरी और अव्यवस्था के बीच एक दर्दनाक हादसा हो गया। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की प्रस्तावित कांवड़ यात्रा से ठीक एक दिन पहले श्रद्धालुओं की भीड़ बेकाबू हो गई। भारी भीड़ के चलते मची भगदड़ में तीन लोग नीचे गिर पड़े, जिनमें से दो श्रद्धालुओं की मौके पर ही दम घुटने और दबने से मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया है। यह हादसा धार्मिक आस्था और अव्यवस्थित इंतजामों की कीमत पर हुआ एक भयावह उदाहरण बन गया।
6 अगस्त को कुबेरेश्वर धाम से चितावलिया हेमा गांव तक विशाल कांवड़ यात्रा निकाली जानी है। उससे पहले ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु कुबेरेश्वर धाम में जुटने लगे थे। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में भंडारा, ठहराव और दर्शन के लिए बनाई गई सीमित व्यवस्था इस अचानक उमड़ी भीड़ के सामने पूरी तरह चरमरा गई। कई इलाकों में लोगों को एक-दूसरे पर चढ़ते देखा गया। जमीन पर गिरे लोगों को उठाने की जगह भी नहीं बची थी। इसी अफरा-तफरी में जब कुछ लोग धकेलते हुए आगे बढ़े, तो तीन लोग नीचे गिर गए और यह हादसा हो गया।
प्रशासन और आयोजकों ने दावा किया था कि लगभग 4 हजार श्रद्धालुओं के ठहरने और प्रसादी वितरण की व्यवस्था कर ली गई है। ठहरने के लिए नमक चौराहा, राधेश्याम कॉलोनी, बजरंग अखाड़ा, अटल पार्क, शास्त्री स्कूल, लुर्द माता स्कूल और सीवन नदी के किनारे स्थान चिन्हित किए गए थे। पूरे सावन मास भंडारा और दर्शन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। लेकिन घटनास्थल से जो तस्वीरें और चश्मदीदों के बयान सामने आ रहे हैं, वो इन दावों की सच्चाई पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।
हैरानी की बात यह है कि हादसे के कुछ ही घंटों बाद रात 12 बजे से डायवर्जन और ट्रैफिक कंट्रोल प्लान लागू किया जाना था। एसपी दीपक शुक्ला ने खुद बताया था कि भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकाला जाएगा और छोटे वाहनों को न्यू क्रिसेंट चौराहा से अमलाहा होकर भेजा जाएगा। लेकिन जब भीड़ सबसे ज्यादा बेकाबू हो रही थी – उस समय तक यह योजना ज़मीन पर उतर ही नहीं सकी थी।
और भी बड़ा सवाल यह है कि प्रशासनिक अमला मौके पर था या नहीं? अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह ने SDM तन्नय वर्मा को पूरे आयोजन का प्रभारी नियुक्त किया था। बावजूद इसके, हादसे के वक्त पुलिस बल, मेडिकल टीम और कंट्रोल यूनिट की उपस्थिति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। न तो मौके पर त्वरित प्राथमिक चिकित्सा मिल सकी और न ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त जवान तैनात थे।