जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जो समाज के हर स्तर पर प्रभाव डालती है। यह केवल व्यक्तिगत नैतिकता का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को भी प्रभावित करता है। बता दें, भ्रष्टाचार का एक मामला मध्य प्रदेश के नवगठित जिले मऊगंज से सामने आया है। यहाँ अपर कलेक्टर अशोक कुमार ओहरी को 5000 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा गया है। साथ ही उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। साथ ही रिश्वत लेने के मामले में CM मोहन यादव ने अशोक कुमार ओहरी, अपर कलेक्टर, जिला मऊगंज को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश भी जारी कर दिए हैं।
मामले को लेकर CM यादव ने X पर लिखा, “मध्य प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत रिश्वत लेने के मामले में अशोक कुमार ओहरी, अपर कलेक्टर, जिला मऊगंज को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया है। इस प्रकरण में लोकायुक्त द्वारा कार्यवाही की जा रही है। नागरिक हितों से खिलवाड़ करने वाले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूर्व में भी शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी जा चुकी है कि जमीन नामांतरण, बटवारा आदि मामलों के निराकरण में गंभीरता बरतें। मध्यप्रदेश सरकार अपने नागरिकों को बेहतर, त्वरित और पारदर्शी तरीके से सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
ये है पूरा मामला
दरअसल, मऊगंज जिले के नईगढ़ी तहसील के खूझ गांव के रहने वाले रामनिवास तिवारी ने रीवा लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि जमीन बंटवारे की फाइल में राजस्व न्यायालय द्वारा उसके पक्ष में कार्रवाई करने के लिए 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई है। बातचीत के बाद 15 हजार रुपए पर बात बनी थी, जिसमें से शिकायतकर्ता ने पहले ही 10 हजार रुपए दे दिए थे। 5 हजार रुपए की दूसरी किस्त मांगी जा रही थी, जिसकी शिकायत उन्होंने लोकायुक्त में की थी।
जिसके बाद लोकायुक्त अप पुलिस अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार ने शिकायतकर्ता की शिकायत को संज्ञान में लिया और 12 सदस्यों की टीम बनाई गई। जिन्हें गुरुवार को मऊगंज ADM कार्यालय भेजा गया। जैसे ही शिकायतकर्ता ने एडीएम अशोक कुमार ओहरी को 5 हजार रुपए दिया, वैसे ही इशारा मिलते ही लोकायुक्त पुलिस ने एडीएम को रंगे हाथ पकड़ा।